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ग्राफिक एरा में जुटे देश भर के साहित्यकार साहित्यिक विमर्श के साथ शब्दावली का आगाज

 ग्राफिक एरा में देश के स्वनामधन्य साहित्यकार एक मंच पर जुटे हैं। ये मौका है शब्दावली के नाम से आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं राजभाषा पखवाड़ा  का। ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी और वैली ऑफ वर्ड्स के संयुक्त सहयोग से आयोजित शब्दावली का आज श्रीगणेश हो गया।

तीन दिवसीय शब्दावली – हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं राजभाषा पखवाड़े की शुरुआत आज सुबह बजे दीप प्रज्जवलन के साथ हुई।  मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात कवि डॉ. प्रवीण शुक्ल ने हिंदी साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य को समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए। लेकिन हमें अपनी मातृभाषा से कभी दूर नहीं होना चाहिए। उन्होंने छात्रों को हिंदी भाषा में बेहतर प्रदर्शन करने और अधिक लेखन करने के लिए प्रेरित किया।

ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति  प्रो. डॉ. संजय जसोला ने हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास की नींव है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे ‘हम भारत के राज्यों के लोग’ पुस्तक का अध्ययन करें, क्योंकि यह हिंदी साहित्य और भारतीय समाज को समझने में मददगार साबित होगी। उन्होंने हिंदी साहित्य और लेखन के लिए छात्रों प्रेरित किया और उन्हें साहित्य के क्षेत्र में और अधिक सक्रियता से योगदान देने की सलाह दी।

भारत के महासर्वेक्षक  हितेश कुमार एस. मखवाना ने डॉ. संजीव चोपड़ा के साथ अपने अनुभव साझा किए और पुस्तक के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे यह पुस्तक महत्वपूर्ण योगदान देगी और इसमें प्रस्तुत मानचित्रों का विश्लेषण किया।

इस अवसर पर उत्तराखंड के पारंपरिक मंगल गीत का मधुर गायन नंदास टीम ने किया। पहले सत्र में तीसरे संस्करण की पुस्तक ‘सादा नीर’ का विमोचन किया गया। इसके पश्चात उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करते हुए टीम देवस्थली और उत्तरायणी ने गढ़वाली,  कुमाऊंनी और जौनसारी नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। इसके बाद  डॉ. संजीव चोपड़ा द्वारा लिखित और श्री सचिन चौहान द्वारा अनुवादित पुस्तक ‘हम भारत के राज्यों के लोग’ का विमोचन भी किया गया।

 

दोपहर के सत्र में प्रतिष्ठित साहित्यकारों और कवियों ने अपनी कविताओं, लेखन प्रक्रिया और साहित्यिक शोध के अनुभव साझा किए। इस अवसर पर एक पेंटिंग प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसने कला प्रेमियों को आकर्षित किया। तीन दिवसीय इस साहित्यिक महोत्सव के आगामी सत्रों में साहित्यिक चर्चाएं, कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र बनी रहेंगी।