केंद्र सरकार वन्यजीव हमलों को लेकर गंभीर…………
प्रदेशाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद श्री महेंद्र भट्ट द्वारा राज्यसभा में उत्तराखंड में जंगली जानवरों के हमलों का मुद्दा उठाया गया। अंतरिक्त प्रश्न 208 के अंतर्गत उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से इसको लेकर जानकारी मांगी है। जिसके ज़बाब में केंद्रीय मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव की तरफ से बताया गया कि उत्तराखंड राज्य सहित देश के विभिन्न भागों से समय-समय पर मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं की सूचना मिलती रहती है। इस संघर्ष में भालू और तैदुए सहित विभिन्न वन्य पशु शामिल हैं। हालांकि, मानव-पशु संघर्ष को कम करने सहित वन्यजीवी का प्रबंधन मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकार संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन की जिम्मेदारी है। राज्य सरकार/संध राज्य क्षेत्र प्रशासन ही मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति में सबसे पहले कार्रवाई करते है । मंत्रालय देश में वन्यजीवों और उनके पर्यावासी के प्रबंधन के लिए केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं ‘वन्यजीव पर्यावासों का विकास’ और ‘बाध और हाथी परियोजना के तहत राज्य सरकारी और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। जिसमें सहायता प्राप्त कार्यप्रणाली में प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की खरीद, जंगली जानवरी को फसल लगे खेती में प्रवेश करने से रोकने के लिए कांटेदार तार की बाड़, सौर ऊर्जा से चलने वाली बिजली की बाड़ जैव-बाड़ सीमा पर दीवारे आदि जैसी भौतिक का निर्माण और स्थापना, मवेशियों की चोरी फसल की क्षति, जान माल की हानि सहित जंगली जानकरी द्वारा किए गए नुकसान के लिए मुआवजा शामिल है। मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए त्वरित कार्रवाई दल भी तैनात किए जाते हैं। इसके अलावा, मंत्रालय ने दिसंबर, 2023 में इन योजनाओं के तहत जंगली जानवरों के हमाली से मृत्यु या स्थायी अशक्तता की स्थिति में अनुग्रह राशि को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया, जो इस धनराशि की उपलब्धता के अध्यधीन है, और जिसका भुगतान भी इस संबंध में बनाए गए राज्य विशिष्ट दिशानिर्देशॉ उपबंधों द्वारा नियंत्रित होता है। जंगली जानवरों द्वारा किए नुकसान की प्रकृति के अनुसार दी जा रही मदद में मृत्यु या स्थाई अशक्तता में 10 लाख रुपए, गंभीर चोट में 2 लाख रुपए, मामूली चोट में 25 हजार रुपए, संपत्ति या फसल हानि में राज्य सरकारें अपने नियमों के तहत कार्रवाई कर सकते हैं।
