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अल्मोड़ा सड़क हादसे की खुलने लगी पोल,

 

 

बीते रोज अल्मोड़ा के मार्चुला क्षेत्र में हुए भीषण सड़क हादसे में जहां 36 लोगों की मृत्यु हुई है वही 27 लोग घायल हो गए हैं इस हादसे के लिए जिम्मेदार कारणों को जानने का काम प्रशासन द्वारा किया जा रहा है … ताकि समय रहते हुए कमियों को दूर कर भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो।

 

अल्मोड़ा क्षेत्र के मार्चुला में भीषण सड़क हादसे से पूरा उत्तराखंड गमगीन हो गया है । इस सड़क दुर्घटना ने किसी परिवार का चिराग बुझा दिया तो किसी का भाई किसी का बेटा किसी का पति किसी की बेटी किसी की पत्नी को हमेशा के लिए छीन लिया। 36 में से अकेले 27 मिनट तक पूरी जनपद के रहने वाले थे। यह सड़क हादसा प्रशासन के लिए एक सबक है कि अगर अब भी कमियां को ठीक नहीं किया तो ओर बड़ी घटनाएं हो सकती है। इस सड़क हादसे के बाद जहां कुमाऊं कमिश्नर ने मजिस्ट्रेट जांच के लिए तीन सदस्य कमेटी का गठन किया है तो वहीं दूसरी तरफ परिवहन विभाग ने भी कर्म का पता लगाने के लिए जांच की बात कही है जबकि मुख्यमंत्री की तरफ से जो चिंता जाहिर की गई थी वह सच साबित हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि अगर क्रॉस बैरियर हो लगे होते तो शायद दुर्घटना को टाला जा सकता था जिस पर लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉक्टर पंकज पांडे ने भी कहा है कि 2023 में ही क्रॉस मेजर लगाने के लिए बजट मंजूर हो चुका था ऐसे में कार्य क्यों नहीं हुआ उसकी भी जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। लेकिन सवाल अब भी वही है की घटना होने के बाद ही क्यों प्रशासन जांच की बात करता है और जांच रिपोर्ट आने के बाद क्यों नहीं बड़ी कार्रवाई होती है जो दूसरों के लिए नजीर बन सके। जिस स्टेट हाइवे पर यह दुर्घटना हुई है वह पहली घटना नहीं है.. बल्कि इससे पूर्व में भी 48 लोगों की जान ऐसे ही एक सड़क हादसे में जा चुकी है.. ओर छोटी बड़ी सड़क दुर्घटनाएं और भी हुई है जिसमें कई लोगों की जिंदगियां छिन जा चुकी है। आखिर इन हादसों के लिए कौन जिम्मेदार है ।

 

 

राज्य में 641 दुर्घटना संभावित स्पॉट किए गए चिन्हित,

641 में 44 ऐसे स्पॉट जो मौत के मुहाने बने,

पिछले साल की तुलना में इस साल बढ़े हैं सड़क हादसे,

देहरादून जनपद में 19 हरिद्वार में चार, उधम सिंह नगर में सात, नैनीताल में 12, चंपावत में एक ब्लैक स्पॉट किया गया है चिन्हित,

ब्लैक स्पॉट यानी सड़क का 500 मी का वह क्षेत्र जहां 3 साल में कम से कम पांच दुर्घटनाएं हुई हो, जिसमें मृत्यु और गंभीर लोग घायल हुए हो,

मार्चुला सड़क हादसा के निम्न कारण आए सामने,

वाहन का ओवरलोड होना, वाहन की कामनी टूटना, सड़क का संकरी और गड्ढा युक्त होना, क्रॉस बैरियर का ना होना,

चालक परिचालक और वाहन स्वामी पर दर्ज होगा मुकदमा,

संबंधित मार्ग के चौकी प्रभारी की जिम्मेदारी की भी होगी जांच,

मुख्यमंत्री के निर्देश पर परिवहन विभाग ने पौड़ी और रामनगर के एआरटीओ प्रवर्तन को किया निलंबित,

हेली एंबुलेंस भी नहीं आई काम,

 

लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ पंकज कुमार पांडे की माने तो हादसा दुखद है और उस हादसे के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ पंकज कुमार पांडे ने कहा कि 2023 में ही क्रॉस बैरियर लगाने के लिए मंजूरी शासन की तरफ से दी जा चुकी है .. ऐसे में कहां पर लापरवाही हुई है.. क्यों नहीं अब तक उस रोड पर क्रॉस बैरियर लग पाए हैं.. यह जांच का विषय है जिसके लिए अपर सचिव की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया गया। सचिव पीडब्ल्यूडी ने कहा कि तीन दिन में जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपेगी और उसके बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

 

कांग्रेस की तरफ से लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं… कांग्रेस नेताओं की माने तो ना तो सरकार इन हादसों कोई सबक ले रही है और ना ही प्रशासन के कानों में जूं रेंग रही है .. ऐसे में खामियाजा सड़क हादसों के रूप में स्थानीय जनता को चुकाना पड़ रहा है।

 

 

वहीं दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि हादसा दुखद है और उनके संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ है साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे हाथों के लिए चालक जिम्मेदार होते हैं जिनकी तरफ से लापरवाही बरती जाती है … साथ ही उन्होंने सरकार को भी सुझाव दिए हैं कि घटनाओं का विश्लेषण किया जाए और जो कमियां हैं उनको दूर करने का प्रयास हो ताकि कोई भी दुखद हादसा दोबारा ना हो।

 

उत्तराखंड में सड़कों को राज्य की लाइफ लाइन कहा जाता है.. क्योंकि इन्हीं लाइफ लाइनों से होकर राज्य के लोग आवागमन करते हैं .. लेकिन अब यह लाइफ लाइन खतरे की जद में आ चुकी है .. ऐसे में सरकार और प्रशासन को त्वरित गति से कार्य करने की आवश्यकता है .. ताकि सड़कों की भी मरम्मत हो सके और जो वायदे सरकार करती है वह भी पूरी हो सके। इसके साथ-साथ अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए जिससे लापरवाही बरतने वाले पर कार्यवाही की जा सके।