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वनाग्नि की घटनाओ को लेकर वन विभाग सख्त

जंगलों में आग लगाने की घटना को लेकर रिपोर्टर धनराज गर्ग एंकर वनों के प्रदेश उत्तराखंड में वैसे तो बीते 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन फिलहाल जंगल की आग से राहत है। जबकि, अब गर्मी बढ़ने लगी है और जंगलों में आग की घटनाओं की आशंका भी बढ़ गई है। आने वाले दिनों में उत्तराखंड वन विभाग के इंतजामों की परीक्षा हो सकती है।वन विभाग जंगल की आग की रोकथाम और प्रबंधन को पूरी तैयारी होने की बात जरूर कह रहा है, लेकिन अक्सर बड़ी घटनाओं में वन विभाग बेबस नजर आता है। इसीलिए इस बार जनसहयोग के लिए आम जनता से गुहार लगाई जा रही है। ताकि, सामूहिक प्रयासों से जंगल की आग की रोकथाम कर प्राकृतिक संपदा को बचाया जा सके।गर्मी के दौरान राज्य में जंगल सबसे अधिक धधकते हैं और हर साल बड़े पैमाने पर वन संपदा को क्षति पहुंचती है। हर बार की भांति इस बार भी प्रदेश में जंगल की आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग ने अपनी तैयारी कर ली है। वही डॉक्टर धनंजय मोहन प्रमुख वन संरक्षक ने कहा कि उत्तराखंड में जंगल की आग के सूचना प्रबंधन प्रणाली को डिजिटल करते हुए वन विभाग ने फारेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप विकसित किया है। पहली बार इस प्रकार के एप के माध्यम से एक संचार तंत्र विकसित कर आग को काबू करने का प्रयास किया जाएगा।वही वन विभाग उत्तराखंड द्वारा वन अग्नि प्रबंधक अनुसंधान हेतु मुख्यालय स्तर पर कॉल सेंटर भी बनाया गया है। वही राज्य में वन अग्नि नियंत्रण हेतु चीड़ और पीरुल एकत्रिकरण कार्य से स्थानीय जनता को सीधा जोड़ने तथा आजीविका में वृद्धि किए जाने को लेकर शासन द्वारा पूर्व में निर्धारित दर ₹3 प्रति किलोग्राम को संशोधित करते हुए अब₹10 प्रति किलोग्राम की स्वीकृति दी गई है।